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अमेजन का डीजीएफटी से करार, एमएसएमई को होगा फायदा

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Nov 24 2023 - 3 min read
अमेजन का डीजीएफटी से  करार, एमएसएमई को होगा फायदा
ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने हाल ही में डीजीएफटी से करार किया। इसके तहत एमएसएमई क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।

ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन इंडिया ने हाल ही में भारत के एमएसएमई क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की। इस एमओयू के तहत अमेजन और डीजीएफटी दोनों ही एक साथ मिलकर निर्यात हब पहल के रूप में पहचाने गए सभी 75 जिलों में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। इसमें एमएसएमई के लिए चरणबद्ध तरीके से क्षमता निर्माण सत्र, प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का सह-आयोजन भी शामिल है। निर्यात और विकास के लिए नवीनतम विदेश व्यापार नीति के तहत आने वाले निर्यात केंद्र के रूप में जिले पहल का उद्देश्य स्थानीय उत्पादकों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से जोड़कर और उनकी विशिष्ट पहचान का लाभ उठाकर प्रत्येक जिले को एक निर्यात केंद्र में बदलना है।

इस पहल को लेकर अमेजन ने कहा कि यह एमएसएमई को कई तरह से लाभ पहुंचाएगा। इसमें एमएसएमई अपने उत्पादों की डिजिटल कैटलॉगिंग और कर सलाहकार जैसी सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे। कुल मिलाकर इस समझौते का उद्देश्य एमएसएमई को अपने अमेजन ग्लोबल सेलिंग प्रोग्राम के तहत 200 से अधिक देशों में अमेजन ग्राहकों को भारत में बने उत्पादों को निर्यात करने में मदद करना है। वहीं जिलों से ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने के लिए डीजीएफटी जिलों में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण सत्र आयोजित करने के लिए विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ सहयोग कर रहा है। अतिरिक्त सचिव और महानिदेशक संतोष सारंगी ने कहा कि विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ इस तरह के पहले सहयोग में, डीजीएफटी वर्ष 2030 तक भारत से 200 से 300 बिलियन डॉलर के ई-कॉमर्स निर्यात को सक्षम करने के लक्ष्य की दिशा में एक कदम के रूप में अमेजन के साथ सहयोग कर रहा है।

व्यवसाय शुरू करना हो या विस्तार में आ रही हो बाधा, हर संभव मदद की पहल

अमेजन ग्लोबल सेलिंग वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था। यह अमेजन का प्रमुख ई-कॉर्स निर्यात कार्यक्रम है। इसके जरिए भारतीय एमएसएमई और उद्यमियों के लिए ई-कॉमर्स का उपयोग करके अपना निर्यात व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। अगर पहले से ही व्यवसाय कर रहे हैं और उसको विस्तार देना चाहते हैं तो भी यह कार्यक्रम उनकी मदद करेगा। वर्तमान की बात करें तो कंपनी से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि इस कार्यक्रम से 1.25 लाख से अधिक निर्यातक जुड़े हैं जो लाखों लोगों को भारत में बने उत्पादों की पेशकश करते हैं और 2023 के अंत की बात करें तो उम्मीद है कि यह आंकड़ा कि समग्र निर्यात में 8 बिलियन को पार कर जाएगा। अमेजन इंडिया के वैश्विक व्यापार निदेशक भूपेन वाकणकर ने कहा कि हमारा ध्यान सभी आकार के व्यवसायों के लिए निर्यात को सरल और अधिक सुलभ बनाने पर है क्योंकि हम 2025 तक भारत से 20 बिलियन डॉलर के संचयी ई-कॉमर्स निर्यात को सक्षम करने के अपने लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं। वाकणकर ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि अखिल भारतीय निर्यात में एमएसएमई-विशिष्ट उत्पादों के निर्यात की हिस्सेदारी में साल-दर-साल गिरावट आ रही है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में माल और सेवाओं सहित देश के कुल निर्यात में अनुमानित 13.84 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

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आंकड़ों से जानें एमएसएमई का कारोबार

इस वर्ष की शुरुआत में राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में एमएसएमई मंत्रालय में राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएस) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि एमएसएमई-निर्दिष्ट वस्तुओं की हिस्सेदारी 23 में कुल निर्यात 43.6 प्रतिशत रहा। यह वित्त वर्ष 2012 में 45.03 प्रतिशत, वित्त वर्ष 2011 में 49.35 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2010 में 49.77 प्रतिशत से कम था। हालांकि वित्त वर्ष 2012 में एमएसएमई निर्यात का मूल्य बढ़कर 190 बिलियन डॉलर हो गया, जो वित्त वर्ष 2011 में 143.9 बिलियन डॉलर और वित्त वर्ष 2010 में 154.8 बिलियन डॉलर था।

यह भी पढ़ें: एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए एनएसई ने किया बंगाल सरकार के साथ करार

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