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इंडस्ट्री सेक्टर में सकल मूल्य वृद्धि 3.7 प्रतिशत दर्ज की गई

Nitika Ahluwalia
Nitika Ahluwalia Jan 31 2023 - 4 min read
इंडस्ट्री सेक्टर  में सकल मूल्य वृद्धि 3.7 प्रतिशत दर्ज की गई
आर्थिक समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में सकल मूल्य वृद्धि (जीवीए) 3.7 प्रतिशत दर्ज की गई है। यह पिछले दशक की पहली छमाही में 2.8 प्रतिशत की औसत वृद्धि से ज्यादा है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में इकोनॉमिक सर्वे 2022-23 पेश करते हुए इंडस्ट्री सेक्टर पर बताया की वित्त वर्ष 2022-2023 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सकल मूल्य वृद्धि (जीवीए) 3.7 प्रतिशत दर्ज की गई है।

आर्थिक समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2022- 2023 में उद्योग क्षेत्र में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। वित्त वर्ष 2021- 2022 में यह 10.3 प्रतिशत थी। समीक्षा में पीएलआई योजना से मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में वृद्धि, निर्यात में तेजी, आयात पर निर्भरता में कमी और रोजगार सृजन में वृद्धि को रेखांकित किया गय है। समीक्षा के अनुसार निवेश मूल्य में आसानी और मांग की स्थितियों मे वृद्धि से ओवरऑल औद्योगिक वृद्धि में मदद मिलेगी।

वित्त वर्ष 2022- 2023 की पहली छमाही में जीडीपी के हिस्से के रूप में निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) वित्त वर्ष 2015 के बाद सबसे ज्याद था। वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में निर्यात प्रोत्साहन में मजबूती दिखाई दी, जबकि जीडीपी के हिस्से के रूप में वस्तु और सेवा निर्यात वित्त वर्ष 2016 के बाद वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में सर्वाधिक था। मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में निर्यात में वृद्धि में कमी आने की चेतावनी दी गई है। घरेलू खपत में मजबूत वृद्धि और निवेश में सुधार से औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि जारी रहेगी।

वित्त वर्ष 2023 में अप्रैल से दिसंबर के बीच नये निवेश की घोषणा वित्त वर्ष 2020 की इसी अवधि की तुलना में पांच गुना ज्यादा होने पर बल दिया गया है। इसमें कहा गया है कि मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में क्षमता उपयोग बढ़ रहा है, जिससे नये निवेश से अतिरिक्त क्षमता तैयार होगी।

समीक्षा के अनुसार उद्योग जगत के सकल ऋण में जनवरी, 2020 की तुलना में बढ़कर जुलाई 2022 में दोहरे अंकों में वृद्धि हुई। इसके अनुसार आपात ऋण संबद्ध गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) की घोषणा के बाद एमएसएमई क्षेत्र के ऋण में भी महत्वपूर्ण वृद्धि दिखाई दी।

मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) निवेश वित्त वर्ष 2021 के 12.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 21.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया, जबकि एफडीआई में निवेश महामारी पूर्व के स्तर से ऊपर रहा है। चलिए आपको बताते है इंडस्ट्रीयल ग्रुप की विशेषताएं :-

1.एमएसएमई : एमएसएमई के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में योगदान वित्त वर्ष 2021 की तुलना में कुछ कम होकर 36 प्रतिशत पर आ गया। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के माध्यम से सरकार ने एमएसएमई पर महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

2.स्टील इंडस्ट्री: अप्रैल से दिसंबर 2022 के दौरान स्टील का कुल उत्पादन और उपभोग 88 मिलियन टन और 86 मिलियन टन पर पहुंच गया है। यह पिछले चार वर्ष की अवधि में वृद्धि को प्रदर्शित करता है। वित्त वर्ष 2020 के महामारी-पूर्व के स्तर की तुलना में लोहे और स्टील का निर्यात ज्यादा रहा है।

3.टेक्सटाइल इंडस्ट्री: चालू वित्त वर्ष में टेक्सटाइल इंडस्ट्री वित्त वर्ष 2022 की तुलना में निर्यात में धीमी गति का सामना कर रहा है। इसी अवधि के दौरान रेडीमेड गारमेंट के निर्यात में साल दर साल आधार पर 3.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

4. ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री : भारत दिसंबर 2022 में जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर बिक्री के मामले में तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मोबाइल बाजार बन गया है। 2021 में भारत सबसे बड़ा दोपहिया और तिपहिया वाहन निर्माता तथा यात्री कार के मामले में चौथा सबसे बड़ा निर्माता था। घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बाजार के 2022 और 2030 के बीच 49 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ने की आशा है और इसके 2030 तक दस  मिलियन इकाइयों की वार्षिक बिक्री तक पहुंचने की आशा है। इससे 2030 तक पांच करोड़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

5.इंडस्ट्री 4.0 : इंडस्ट्री 4.0 के अंतर्गत क्लाउड कम्प्यूटिंग, आईओटी, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) जैसी नई तकनीकों को मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रियाओं में एकीकृत करता है, जिससे मूल्य श्रृंखला प्रभावित होती है। सरकार द्वारा की गई समर्थ (स्मार्ट एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग एंड रैपिड ट्रांसफॉर्मेशन हब) उद्योग भारत 4.0 शामिल है। इसका उद्देश्य जागरुकता कार्यक्रमों और प्रदर्शन के माध्यम से भारतीय मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए तकनीकी समाधान को बढ़ावा देना है।

8 पीएलआई योजना: पीएलआई योजना से अगले पांच वर्ष के दौरान लगभग चार लाख करोड़ रुपये के निवेश की आशा है। इससे भारत में 60 लाख नौकरियों के अवसर सृजित होने की संभावना है। यह योजना 14 क्षेत्रों में फैली है। इसके वित्त वर्ष 2023 में वार्षिक मैन्युफैक्चरिंग निवेश में 15 से 20 प्रतिशत वृद्धि की आशा है।

 

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