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छोटे व्यवसाय के लिए जीएसटी कितनी महत्वपूर्ण

Nitika Ahluwalia
Nitika Ahluwalia Mar 04 2022 - 8 min read
छोटे व्यवसाय के लिए जीएसटी कितनी महत्वपूर्ण
जीएसटी की शुरूआत और कार्यान्वयन भारतीय कर सुधार में एक महत्वपूर्ण कदम था, इसने व्यवसायों के टैक्स को देखने के तरीके को बदल दिया है।

भारत सरकार ने भारत में कई मौजूदा अप्रत्यक्ष करों को एक करने के उद्देश्य से जीएसटी की शुरुआत की। सरकार ने जीएसटी बिल 1 जुलाई 2017 को पूरे देश के लिए गुड्स और सर्विस के निर्माण, बिक्री और उपभोग पर लगाए जाने वाले एक व्यापक कर के रूप में पेश किया।

जीएसटी की शुरूआत और कार्यान्वयन भारतीय कर सुधार में एक महत्वपूर्ण कदम था, इसने व्यवसायों के टैक्स को देखने के तरीके को बदल दिया है। जीएसटी लागू करने के पीछे का विचार कर व्यवस्था को सरल बनाना और इसे अधिक सुव्यवस्थित बनाना था। अब बात करते है जीएसटी छोटे बिज़नेस के लिए कितना फायदेमंद।

सालाना 20 लाख से कम कमाने वाले प्रदाताओं को जीएसटी का भुगतान नहीं करना होगा जबकि उत्तर पूर्वी राज्यों में यह 10 लाख तक है। ऐसे में छोटे व्यवसायों के लिए यह एक बड़ा लाभ है क्योंकि वह इस प्रक्रिया से बच सकते हैं और अपनी व्यावसायिक गतिविधियों पर अधिक ध्यान दे सकते हैं। जबकि 20 से ऊपर यानी कि 75 लाख रुपए कमाने वाले प्रदाताओं को जीएसटी के अंतर्गत अपने बिजनेस को रजिस्टर्ड करवाना आवश्यक होता है।

बता दे, पहले उपभोक्ताओं को अलग-अलग करों का भुगतान करना होता है लेकिन अब उन्हें दूसरे करों के बारे में चिंता नहीं करनी होती है। अब उन्हें केवल एक ही बिल का भुगतान करना होगा। इसके अलावा उपभोक्ता देश में कहीं भी एक ही कीमत पर सामान का लाभ उठा सकता है। जीएसटी के अंतर्गत टिशू पेपर, टूथपेस्ट, साबुन, शैंपू और इलेक्ट्रॉनिक आइटम जैसी अन्य चीजें  0.5 प्रतिशत के दायरे में आते हैं। ऐसे में ग्राहक के लिए यह काफी लाभदायक हो गया है।

जीएसटी के प्रकार

  1. एसजीएसटी-स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स: स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स जीएसटी के प्रकारों में से एक है जिसे किसी विशेष राज्य की सरकार लागू करती है। राज्य सरकार राज्य में गुड्स एंड सर्विस पर टैक्स लगाती है और राज्य सरकार एकत्रित राजस्व का एकमात्र लाभार्थी है।

1.स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स, लग्जरी टैक्स, वैट, परचेज टैक्स और सेल्स टैक्स जैसे विभिन्न राज्य-स्तरीय करों की जगह लेता है।

  1. हालांकि, अगर गुड्स का लेनदेन राज्य के बाहर है, तो स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स और सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स दोनों लागू होते हैं। अगर राज्य में गुड्स और सर्विस का लेनदेन होता है, तो केवल एसजीएसटी लगाया जाता है।

3.जीएसटी की दर 2 प्रकार के जीएसटी में समान रूप से विभाजित है। उदाहरण के लिए, जब व्यापारी अपने राज्य में अपनी वस्तुओं को बेचते हैं, तो उन्हें एसजीएसटी और सीजीएसटी  का भुगतान करना होगा।एसजीएसटी से अर्जित राजस्व राज्य सरकार का है और सीजीएसटी से राजस्व केंद्र सरकार का। विभिन्न गुड्स एंड सर्विस का एसजीएसटी समय-समय पर प्रकाशित सरकारी अधिसूचना पर निर्भर करता है।

किस गुड्स पर कितना टैक्स

1.चाय, नमक, मसाले, चीनी, आदि पर 2.5 प्रतिशत

  1. प्रोसेस्ड फूड पर 6 प्रतिशत
  2. इलेक्ट्रॉनिक सामान पर 9 प्रतिशत

4.कैपिटल गुड्स, कॉस्मेटिक पर 14 प्रतिशत

2.सीजीएसटी - सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस: सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स वस्तुओं और सेवाओं की इंट्रास्टेट (राज्य के भीतर) सप्लाई पर लागू होता है। केंद्र सरकार इस पर टैक्स लगाती है। सीजीएसटी अधिनियम इस प्रकार के जीएसटी को नियंत्रित करता है।यहाँ सीजीएसटी से उत्पन्न राजस्व को एसजीएसटी के साथ एकत्र किया जाता है और इसे केंद्र और राज्य सरकार के बीच विभाजित किया जाता है।उदाहरण के लिए, जब कोई व्यापारी राज्य में लेनदेन करता है, तो गुड्स पर एसजीएसटी और सीजीएसटी के साथ कर लगता है। जीएसटी की दर एसजीएसटी और सीजीएसटी के बीच समान रूप से विभाजित है, जबकि सीजीएसटी के तहत एकत्र किया गया राजस्व केंद्र सरकार का है।

  1. आईजीएसटी- इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स: इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक प्रकार का जीएसटी है, जहाँ टैक्स गुड्स एंड सर्विसेज की इन्टरस्टेट सप्लाई पर लागू होता है। यह जीएसटी आयात और निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर भी लगाया जाता है।आईजीएसटी अधिनियम इसे नियंत्रित करता है और केंद्र सरकार इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के संग्रह के लिए जिम्मेदार है। आईजीएसटी को समान रूप से केंद्र और राज्य सरकार के भागों में विभाजित किया जाता है। आईजीएसटी का राज्य भाग उस राज्य को प्रदान किया जाता है, जहाँ गुड्स एंड सर्विस प्राप्त होती हैं और बचा हुआ आईजीएसटी केंद्र सरकार के पास जाता है।उदाहरण के लिए, जब व्यापारी दो राज्यों के बीच सप्लाई करता है, तो इस मामले में आईजीएसटी लगेगा।

किस गुड्स पर कितना टैक्स

1.चाय, नमक, मसाले, चीनी, आदि पर 5 प्रतिशत

  1. प्रोसेस्ड फूड पर 12 प्रतिशत
  2. इलेक्ट्रॉनिक सामान पर 18 प्रतिशत

4.कैपिटल गुड्स, कॉस्मेटिक पर 28 प्रतिशत

4.यूजीएसटी- यूनियन टेरिटरी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स: यूनियन टेरिटरी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स केंद्र शासित प्रदेशों में गुड्स एंड सर्विसेज पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का जीएसटी है। यह एसजीएसटी के समान है लेकिन केवल केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होता है।

यूजीएसटी दादर, नगर हवेली, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार के साथ-साथ पुडुचेरी और दिल्ली में लागू है। यहाँ सरकार द्वारा एकत्र किया गया राजस्व केंद्र शासित प्रदेश सरकार का है। चूंकि यूजीएसटी एसजीएसटी के लिए एक रिप्लेसमेंट है, इसलिए उन्हें सीजीएसटी के साथ एकत्र किया जाता है।

एसजीएसटी, सीजीएसटी और आईजीएसटी में विभाजन क्यों? 

भारत एक संघीय देश है जहां केंद्र और राज्यों दोनों को कर लगाने और एकत्र करने की शक्तियां सौंपी गई हैं। संविधान के अनुसार दोनों सरकारों की अलग-अलग जिम्मेदारियां हैं, जिसके लिए उन्हें कर राजस्व जुटाने की जरूरत है। केंद्र और राज्य एक साथ जीएसटी लगा रहे हैं। करदाताओं को एक दूसरे के खिलाफ क्रेडिट लेने में मदद करने के लिए तीन प्रकार की कर संरचना लागू की जाती है, इस प्रकार एक राष्ट्र, एक कर सुनिश्चित होता है।

बता दे की जिन यूनियन टेरिटरी में खुद की विधानसभा है उनमे सीजीएसटी और एसजीएसटी लगता है और जिन यूनियन टैरीटरी में खुद की विधानसभा नही है उनमें यूटीजीएसटी लगता है।


सीजीएसटी, एसजीएसटी या आईजीएसटी लागू होने पर क्या निर्धारित करता है?


यह निर्धारित करने के लिए कि क्या सीजीएसटी, एसजीएसटी और आईजीएसटी कर योग्य लेनदेन में लागू होगा, पहले यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्या लेनदेन एक राज्य के भीतर है। या एक अंतर-राज्यीय आपूर्ति।

1.इन्ट्रास्टेट में गुड्स एंड सर्विस सप्लाई-  गुड्स एंड सर्विस की अंतर-राज्य आपूर्ति तब होती है जब सप्लायर की लोकेशन और सप्लाई की जगह यानी की खरीदार की लोकेशन एक ही जगह में स्थिति होती है। इंट्रा-स्टेट लेनदेन में, एक विक्रेता को खरीदार से सीजीएसटी और एसजीएसटी दोनों जमा करना होता है। सीजीएसटी केंद्र सरकार के पास जमा हो जाता है और एसजीएसटी राज्य सरकार के पास जमा हो जाता है।

2.इंटर स्टेट में गुड्स एंड सर्विस की सप्लाई - इंटर स्टेट में गुड्स एंड सर्विस की सप्लाई तब होती है जब सप्लायर की लोकेशन और सप्लाई की जगह अलग राज्यों में होती है। साथ ही, गुड्स एंड सर्विस के निर्यात या आयात के मामले में या जब किसी
विशेष आर्थिक क्षेत्र  इकाई को या उसके द्वारा गुड्स एंड सर्विस की सप्लाई की जाती है, तो लेनदेन को इंटर स्टेट माना जाता है।

जीएसटी का उद्देश्य

1.एमएसएमई या छोटे पैमाने के व्यवसायों के लिए कर अनुपालन आसान है। इसके अलावा, एकल कर की उपस्थिति रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को आसान बनाती है।
2.जीएसटी भ्रष्टाचार की संभावना को कम करता है और पारदर्शिता बढ़ाता है। उदाहरण के लिए, व्यवसायों में गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट की संभावना कम होती है।
3. जीएसटी बिल विशेष रूप से पिछले टैक्स ऑन टैक्स प्रणाली को समाप्त करते हुए शुद्ध मूल्य वृद्धि वाले हिस्से पर कर लगाता है, और वस्तुओं की लागत को कम करता है।
4. जीएसटी के तहत पंजीकृत प्रत्येक व्यवसाय को जीएसटी अधिनियम के तहत गुड्स एंड सर्विस कर पहचान संख्या या एक जीएसटी  संख्या प्राप्त होती है। यह जीएसटीआईएन जीएसटी अधिकारियों को जीएसटी बकाया और लेन-देन का ट्रैक रखने में सहायता करता है।
5.कोई भी व्यवसाय या संगठन जीएसटी  के तहत पहले पंजीकरण के बिना काम नहीं कर सकता है। अधूरा जीएसटी  रिटर्न भरने से इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता है तथा साथ ही साथ जुर्माना भी लगाया जाता हैं।
6.प्रमुख टैक्स स्लैब 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत हैं। सस्ता और आवश्यक सामान और सेवाएं 0% श्रेणी में आती हैं, जबकि अधिक महँगी और लग्जरी सामान 28 प्रतिशत श्रेणी में आती हैं।

जीएसटी भारत में सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण कर सुधार है। जीएसटी में विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को शामिल करने से मैन्युफैक्चरिंग और उत्पादन लागत कम हो जाती है और देश के आर्थिक विकास में भी सहायता मिलती है।

राज्य के अनुसार वैट की दरें और नियम अलग-अलग हैं। साथ ही, यह भी देखा गया है कि राज्य अक्सर निवेशकों को लुभाने के लिए इन दरों को कम करने की कोशिश करते हैं। इससे केंद्र सरकार के साथ-साथ अन्य राज्य सरकारों दोनों को राजस्व की हानि होती थी।

दूसरी ओर जीएसटी सभी राज्यों में स्टैन्डर्ड कर नियमों को लागू करता है, जिसमें व्यवसायों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। एक पूर्व निर्धारित और पूर्व-अनुमोदित फॉर्मूले के अनुसार, इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच करों का वितरण किया जाता है। इसके अलावा चूंकि कोई भी अतिरिक्त राज्य कर नहीं है, इसलिए पूरे देश में गुड्स एंड सर्विस को समान रूप से बेचना बहुत आसान है।

गुड्ज़ एंड सर्विस टैक्स ने राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा लगाए गए लगभग 17 अप्रत्यक्ष करों की जगह ली है। हालांकि, प्रत्येक राज्य के कर नियमों के अलग-अलग सेट के कारण, टैक्स प्रणाली में एकरूपता की कमी थी। नतीजतन, आंतरिक व्यापार और कॉमर्स खतरे में पड़ गए, और कर चोरी एक चिंता का विषय था। जीएसटी के लागू होने से इन सभी मुश्किलों का समाधान निकला।

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