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द प्लेटिड प्रोजेक्ट एक छोटे व्यवसाय की सफलता की कहानी है

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Jan 20 2022 - 4 min read
द प्लेटिड प्रोजेक्ट एक छोटे व्यवसाय की सफलता की कहानी है
कैसे फेसबुक ने इस छोटे व्यवसाय को बढ़ने में मदद की है और यह एक ऐसा व्यवसाय है जो अपनी कला से जीवन के छोटे-छोटे पलों को बहुत ही आनंदमय बना देता है

आज के समय में हर कोई अपना व्यवसाय खोलना चाहता है लेकिन किसी भी व्यवसाय को छोटे स्तर से शुरू करना बहुत मुशकिल होता है,लेकिन जिसके अंदर काम करने की इच्छा और लग्न हो वह उस छोटे व्यवसाय को बड़ा बनाने में ज्यादा समय नही लगता है। एसे ही एक छोटा व्यवसाय है जिसने छोटे स्तर से अपने व्यवसाय की शुरूआत की और आज वह एक बड़े मैदान में खड़ा उतरा है और साथ ही फेसबुक मेटा ने भी इस व्यवसाय में अपना योगदान दिया। चलिए जानते है कि कैसे एक छोटा व्यवसाय बढ़ा बना।

द प्लेटेड प्रोजेक्ट एक ऐसा छोटा व्यवसाय है जिसकी शुरूआत 2019 में हुई इस 6 वर्ड के स्टेटमेंट “बॉय ए प्लेट, फिल ए प्लेट” के साथ। यह व्यवसाय प्लेट में बनी बेहतरीन कला के नाम से जाना जाता है। प्लेट में कला को बहुत ही सरल तरह से बनाया गया है और यह कला जीवन के छोटे-छोटे पलों को बहुत ही आनंदमय बना देती है। इनके एडिशन पिस बहुत ही लिमीटीड होते है। ऐसा क्यो है चलिए इस बारे में भी बताते है। इस व्यवसाय का कहना है की हम कीमती और दुर्लभ चीजों के बारे में बात करना पसंद करते हैं।इसलिए हमने सोशल मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए इसे अपना मिशन बना लिया है जो लोगों को उत्साहित करता है- एक्सक्ल्यूसिव डेकोर प्लेट जहां कला का संदेश है। भूख जेंडर, कमयुनीटी और  क्षमताओं में बड़ी असमानताओं का लक्षण है। हम इन मूल समस्याओं के बारे में जागरूकता को बढ़ाते हैं।

देखा जाए तो यह आईडिया बहुत ही अच्छा है लेकिन यह आईडिया कैसे आया, चलिए जानते है। द प्लेटेड प्रोजेक्ट के संस्थापक चित्रेश सिन्हा का कहना है की उनके एक स्कूल के दोस्त ने बिलबोर्ड की तस्वीर साझा की। बस यही से बिजनेस की शुरूआत उनके दिमाक में आई। यह गर्व और नम्रता का क्षण था, साथ ही यह देखना कि एक छोटा सा विचार कितनी दूर आ गया है।

देश में भूख के संकट को खत्म करने की पहल पर एक शोर्ट फिल्म 'द प्लेटेड प्रोजेक्ट' की घोषणा करने वाला विज्ञापन मेटा (पूर्व में फेसबुक) द्वारा अपने 'गुड आइडियाज डिजर्व टू बी फाउंड' कार्यक्रम के तहत रखा गया था। सिन्हा ने बताया की फेसबुक और उनकी टीम ने लगभग 3 महीने पहले हमारे काम को ऑनलाइन देखा और अधिक जानने के लिए संपर्क किया।

सिन्हा का मानना ​​है कि फिल्म अधिक लोगों को एक उद्देश्य के लिए दान करने में मदद करेगी। भूख समाज में बड़ी असमानताओं का लक्षण है। हमें सहानुभूति से आगे बढ़ने और वास्तव में कारण से जुड़ने के लिए बड़ी आबादी की आवश्यकता है। इसलिए, बॉय ए प्लेट, फिल ए प्लेट का विचार आया। इस परियोजना ने दुनिया भर में 5 लाख से ज्यदा मील्स स्पॉन्सर किये है। कलाकारों के साथ हाथ मिलाकर वे अपनी तरह की अनूठी प्लेट बनाते हैं जिसकी कीमत 700 रुपये से 3,000 रुपये के बीच होती है।

प्लेटों को बेचने से होने वाली आय को भूख से लड़ने वाले संगठनों को सौंप दिया जाता है। इन कला प्लेटों को खरीदने से भूखे लोगों के योगदान और कलाकारों के काम का दोहरा लाभ मिलता है।

कंपनी का मानना है की भारत में 4 में से 1 बच्चा कुपोषित हो जाता है। हर रात 700 मिलियन लोग भूखे सोते हैं। हम दो शक्तिशाली हथियारों के साथ भूख पर युद्ध लड़ रहे हैं: धन और जागरूकता। वह हर महीने अपने शुद्ध लाभ का 50 प्रतिशत दान में देते हैं।

प्लेटफ़ॉर्म द्वारा उठाए गए मुद्दे के आधार पर सिरेमिक प्लेटों पर डिज़ाइन हर महीने बदलते हैं। इनका एक कलेक्शन था जो बहरेपन के बारे में जागरूकता को पैदा करना था इसके लिए, उन्होंने कवियों के एक समूह के साथ सहयोग किया, जिन्होंने बोले गए शब्द को माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया और इसे कलाकारों के काम के साथ प्लेटों पर रखा गया।

इस महीने की थीम "द आर्काइव ऑफ ड्रीम्स" एक ऐसी भावना को पकड़ने की उम्मीद करती है जिसे हम सभी नए साल में ले गए हैं। विचारों की एक टोकरी जो अधिक की इच्छा रखती है, अतीत को याद करती है और वर्तमान के प्रति सचेत रहती है।

एक तरह से देखा जाए तो यह व्यवसाय अपनी कला को बाया करके और लोगों के बीच सोशल मुद्दों को लेकर जगरूकता को बढ़ा रहा है और एक अच्छा मुकाम हासिल कर रहा है।

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