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नीतिगत ब्याज दरों में लगातार छठी बार बढ़ोतरी

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Feb 08 2023 - 3 min read
नीतिगत ब्याज दरों में लगातार छठी बार बढ़ोतरी
आरबीआई ने रेपो रेट को 25 बेसिस प्वॉइंट (0.25 प्रतिशत) बढ़ाया है। मौद्रिक नीति समिति द्वारा ताजा बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 6.50 प्रतिशत हो गया है। इससे खुदरा लोन की दरें बढ़ने की आशंका प्रबल हुई है। हालांकि जमा दरों पर ब्याज बढ़ोतरी के रूप में इसका फायदा भी दिख सकता है।

पिछले कुछ समय के दौरान महंगाई की अपेक्षाकृत ऊंची दरों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति की नवीनतम समीक्षा के दौरान रेपो रेट में एक और बढ़ोतरी का सहारा लिया है। इस सप्ताह सोमवार से मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक चल रही थी, जिसमें लिए गए फैसलों के बारे में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को रेपो रेट में 25 आधार अंकों यानी एक-चौथाई प्रितिशत बढ़ोतरी के फैसले की घोषणा की। ताजा बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट बढ़कर 6.50 प्रतिशत हो गया है।

पिछले साल मई से लेकर अब तक रेपो रेट में कुल 2.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई देशभर के बैंकों को कर्ज देता है। बैंक अपने ग्राहकों के लिए कर्ज और जमा पर ब्याज दरों को रेपो रेट के अनुसार ही निर्धारित करते हैं। रेपो रेट में बढ़ोतरी के साथ ही बैंक अक्सर होम लोन और ऑटो लोन समेत अन्य खुदरा दरो के साथ जमा दर भी बढ़ाते हैं। हालांकि बढ़ोतरी की दर बैंक अपने-अपने हिसाब से निर्धारित करते हैं।

आरबीआई गवर्नर ने बैठक के बाद कहा कि वित्त वर्ष 2022-2023 की चौथी तिमाही में महंगाई दर 5.9 प्रतिशत से घटकर 5.6 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। वहीं, चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 6.5 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का वृद्धि दर अनुमान वर्तमान 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया है। वहीं अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगया गया है। दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-2024 की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून, 2023 में जीडीपी विकास दर 7.8 प्रतिशत होने का अनुमान है। वहीं, उन्होंने वित्त वर्ष 2023-2024 की दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी विकास के अनुमान को 5.9 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.2 प्रतिशत कर दिया है।

आरबीआई के फैसलों पर देश के सबसे बड़े कर्जदाता एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि आरबीआई का फैसला उम्मीदों के अनुरूप ही था। अमेरिका में रोजगार बढ़ोतरी के जिस तरह के आंकड़े आए हैं, उसके आलोक में वहां के केद्रीय बैंक के रुख को देखते हुए विकासशील देशों के केंद्रीय बैंकों के पास नीतिगत दरों को बेहद संतुलित रखने के अलावा और कोई चारा नहीं रह गया है। वहीं, यस बैंक  के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पैन ने कहा मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद रेपो रेट बढ़ाने का फैसला बेहतर और संतुलित था। 25 बीपीएस की बढ़ोतरी किसी बदलाव से जुड़ी हुई नहीं थी। आरबीआई मुख्य रूप से महंगाई दर पर ध्यान केंद्रित करता है और स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है कि हाल ही में महंगाई दर में नरमी ज्यादातर सब्जियों की भरपूर आवक की वजह से रही है, जो जल्द खत्म हो सकती है।

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए औसत महंगाई का अनुमान 5.3 प्रतिशत है, जो अभी भी आरबीआई के 4 प्रतिशत  अनुमान से ज्यादा है। यह भी सच है कि 6.5 प्रतिशत की वर्तमान रेपो दर और 5.7 प्रतिशत  की अंतिम महंगाई दर पर, वास्तविक नीति दर 0.8 प्रतिशत हो गई है। हालांकि, गवर्नर ने संकेत दिया कि नीतिगत दर अभी भी पूर्व-महामारी के स्तर से कम है। उनके अनुसार रेपो दरों में बढ़ोतरी का फैसला बहुत मुश्किल भरा होता है,लेकिन मुझे लगता है कि आरबीआई का दरें बढ़ाने का चक्र अभी खत्म नहीं हुआ है। हम अप्रैल या उसके बाद भी रेपो दर में 25 बीपीएस की और वृद्धि और आने वाले महीनों में महंगाई को काबू में लाने की अपनी कोशिशों के लिए भी तैयार है।

रेपो रेट बढ़ने से क्या होता है

रेपो रेट बढ़ने से लोन की किस्त महंगी हो सकती है। अगर आपने होम लोन या फिर कोई और लोन लिया हुआ है, तो उसकी ईएमआई बढ़ सकती है, लेकिन यह आपके बैक पर निर्भर करता है। 



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