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बाजार और लोन तक पहुंच में सुधार करेगी रैंप योजना

Nitika Ahluwalia
Nitika Ahluwalia Jul 04 2022 - 3 min read
बाजार और लोन तक पहुंच में सुधार करेगी रैंप योजना
रैंप कार्यक्रम के तहत क्षमता निर्माण, स्कीम डेवलपमेंट, क्वालिटी को बढ़ाना, टेक्नोलॉजी को अपग्रेड सहित इससे जुड़े तमाम कामों को बढ़ावा दिया जाएगा।

रैंप एमएसएमई के प्रदर्शन को बढ़ाने और तेज करने के लिए विश्व बैंक सहायता वाली केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना है। रैंप कार्यक्रम का उद्देश्य बाजार और लोन तक पहुंच में सुधार करना है। इसके साथ ही केंद्र और राज्य में संस्थानों और अधिकारों को मजबूती देने, केंद्र-राज्य के संबंधों और साझेदारी में सुधार करने, देरी से भुगतान के मुद्दों के समाधान और एमएसएमई को पर्यावरण के लिए जागरूक बनाना भी इस योजना में शामिल है।

वर्ष 2019 में कोरोना महामारी के कारण छोटे लघु मध्यम मैन्युफैक्चरिंग उद्यम को उबारने के लिए सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय- एमओएमएसएमई के हस्तक्षेप का समर्थन किया गया है। रैंप आत्मनिर्भर भारत मिशन के पूरक के रूप में काम करेगा। उद्योग मानकों, एमएसएमई को प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर बनाने, निर्यात बढ़ाने और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा।

रैंप योजना का लक्ष्य

1) रैंप कार्यक्रम के तहत क्षमता निर्माण, स्कीम डेवलपमेंट, क्वालिटी को बढ़ाना, टेक्नोलॉजी को अपग्रेड सहित इससे जुड़े तमाम कामों को बढ़ावा दिया जाएगा।

2) योजना का मुख्य लक्ष्य एमएसएमई कार्यक्रम के संस्थानों और शासन को मजबूत करना है।

3) देश भर में रैंप कार्यक्रम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एमएसएमई से जुड़े सभी 6 करोड़ उद्यमों को लाभान्वित करेगा। योजना में कुल 5,55,000 एमएसएमई को विशेष रूप से बेहतर प्रदर्शन के लिए लक्षित किया गया है।

4) इसका लक्ष्य बाजार तक पहुंच प्रदान करना, फर्म की क्षमता और वित्त तक पहुंच बढ़ाना हैं।

5) रैंप का महत्वपूर्ण घटक रणनीतिक निवेश योजना (सिप) तैयार करना है। इसमें सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आमंत्रित किया जाएगा। सिप में रैंप के तहत एमएसएमई की पहचान कर सहायता दी जाएगी।

रैंप की स्थापना कब हुई

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यीक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 30 मार्च 2022 को रैंप योजना को मंजूरी दी थी। विश्व बैंक से मदद मिलने के बाद इस योजना के लिए 808 मिलियन अमरीकी डॉलर (6,062.45 करोड़ रुपए) की लागत को मंजूरी दी गई। जिसमें से 3750 करोड़ रुपये (500 मिलियन अमरीकी डॉलर) विश्व बैंक से ऋण होगा और बाकी बचा हुआ 2312.45 करोड़ रुपये (308 मिलियन अमरीकी डॉलर) भारत सरकार देगी।

रैंप किस तरह से काम करेगा

रैंप व्यावसायिक स्थिरता में सुधार के लिए एक पॉलिसी प्रोवाइडर की तरह काम करेगा। जिसमें हाई एंड टेक्नोलॉजी तक पहुंच के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स मशीन लर्निंग से एमएसएमई का डिजिटल और तकनीकी परिवर्तन किया जाएगा। इस योजना के तहत साक्ष्य आधारित पॉलिसी वाले कार्यक्रम डिजाइन किए जाएंगे। जिससे प्रभावी और लागत कुशल एमएसएमई को बढ़ावा मिलेगा। योजना के जरिए अंतरराष्ट्रीय अनुभवों का लाभ उठाकर कामयाबी की कहानियों को शेयर और प्रदर्शित किया जाएगा। देश भर में रैंप कार्यक्रम के जरिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उन सभी 63 मिलियन उद्यम लाभान्वित होंगे जो एमएसएमई के तहत आते हैं। यह कार्यक्रम राज्यों के साथ बढ़े हुए सहयोग के जरिए एक नौकरी देने वाला, मॉर्केट प्रमोटर, कमजोर वर्गों और हरित पहल का समर्थन उन राज्यों में करेगा, जहां एमएसएमई की मौजूदगी कम है, वहां रैंप इसका प्रभाव बढ़ाकर इन्हें प्रोत्साहित करेगा।

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