970*90
768
468
mobile

विद्यार्थियों के लिए अन्वेषक या उद्यमी बन स्टार्टअप स्थापित करना महत्वपूर्ण : उपराष्ट्रपति

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Jul 24 2023 - 24 min read
विद्यार्थियों के लिए अन्वेषक या उद्यमी बन स्टार्टअप स्थापित करना महत्वपूर्ण : उपराष्ट्रपति
विद्यार्थियों के लिए नवप्रवर्तक बनना, उद्यमी बनकर कार्य करना और अपना स्टार्टअप स्थापित करना महत्वपूर्ण है जिससे इस अमृत काल में हमारे योग्य विद्यार्थी उनका अनुकरण करें। हमारे पास जितने यूनिकॉर्न और स्टार्टअप हैं, वे वाकई जमीनी हकीकत हैं, जिसे दुनिया ने स्वीकार किया है।

देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एक, जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के शताब्दी वर्ष के दीक्षांत समारोह (23 जुलाई 2023) में पहुंचकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने डिग्री प्राप्त करने वाले सभी लोगों, स्नातक छात्रों, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को बधाई दी। अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने देश और छात्रों के भविष्य को लेकर कई महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया। आइए जानें, उन्होंने किन किन मुद्दों पर अपने विचार रखे... 

भारत का उपराष्ट्रपति होना एक सुखद पहलू है, लेकिन इसके साथ एक और पहलू भी जुड़ा है और वह है राज्यसभा का अध्यक्ष होना, जो एक कठिन कार्य है। यह मेरे और मेरी पत्नी के लिए सदैव याद रखने योग्य क्षण है। ऐसा हर दूसरे दिन नहीं होता। दीक्षांत समारोह तो होते हैं, लेकिन इस प्रकार का दीक्षांत समारोह, शताब्दी दीक्षांत समारोह, किसी के जीवन में बहुत कम आता है, शायद संयोगवश ही ऐसा हो पाता है। देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एक, जामिया मिलिया इस्लामिया, जेएमआई के शताब्दी वर्ष के दीक्षांत समारोह के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी के बीच आकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। मैं विश्वविद्यालय के लिए इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए डिग्री प्राप्त करने वाले सभी लोगों, स्नातक छात्रों, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को हार्दिक बधाई देता हूं।

छात्रों, शिक्षा के इस प्रतिष्ठित संस्थान से स्नातक होने के नाते, इसे हमेशा याद रखें और इसे कभी न भूलें। यदि आप इसे भूल जाते हैं, तो आप अपनी प्रगति में बाधा डालेंगे। बेशक, आपकी सफलता का श्रेय आपके परिश्रम, आपकी कड़ी मेहनत को जाना चाहिए, लेकिन मुख्य रूप से आपके शिक्षकों, आपके माता-पिता और आपके शुभचिंतकों को इसका श्रेय मिलना चाहिए। आपने अपनी डिग्रियां हासिल कर लीं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सीखने या ज्ञान प्राप्त करने के प्रति शांत हो जाना चाहिए। बुद्धिमत्ता प्राप्त करने के लिए आपको इस ज्ञान को सावधानीपूर्वक विकसित करना होगा। जेएमआई की उपलब्धियों के बारे में बहुत कुछ कहा जा चुका है। ये असाधारण उपलब्धियां हैं।

जामिया के 100 साल के इतिहास में पहली महिला कुलपति

यह इस संस्थान के और राष्ट्रीय जीवन में इसके प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों के योगदान को पहचानने का अवसर है। मैं इस अवसर पर जामिया के प्रति योगदान के लिए 2022 में प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार प्राप्त करने वाली कुलपति प्रोफेसर नज़मा अख्तर को बधाई देता हूं। एक तरह से इतिहास बनाते हुए वे जामिया के 100 साल के इतिहास में पहली महिला कुलपति हैं। वे हर जगह महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल होंगी। यह कोई आंकड़ा नहीं है। राष्ट्रीय संस्थागत फ्रेमवर्क रैंकिंग में जामिया को देश के तीन शीर्ष विश्वविद्यालयों में स्थान दिया गया है। इसके पहले बहुत कुछ हो चुका है, अधिकांश प्रयास पूरे किये जा चुके हैं। यहां तक कि नदी में भी जब आप खड़े होते हैं, तो एक ही जगह पर बने रहने के लिए आपको अपने पैर हिलाते रहना पड़ता है, यह एक बार-बार किया जाने वाला कार्य है। मैं कुलपति, संकाय और छात्रों को बधाई देता हूं। इस विश्वविद्यालय ने दुनिया भर के विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के साथ अकादमिक अनुसंधान गठबंधन बनाये हैं। यह वह समय है जब हमें समान संस्थानों के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है। हमें तालमेल बिठाने की प्रक्रिया में बने रहने की आवश्यकता होती है। इससे ज्ञान अर्जन की क्षमताओं में वृद्धि होती है। यह 25 से अधिक देशों के विदेशी छात्रों का स्वागत करता है। मैं विश्व मामलों की भारतीय परिषद का अध्यक्ष हूं। विश्व मामलों की भारतीय परिषद इस प्रतिष्ठित संस्थान के साथ एक समझौता करेगी और मुझे यकीन है कि इससे इन दोनों संस्थानों को मदद मिलेगी। यह हमारे स्वतंत्रता दिवस से पहले फलीभूत हो जायेगा।

जब मैं इस महान संस्थान के पूर्व छात्रों को देखता हूं, तो नाम लेना मुश्किल हो जाता है। शीर्ष संवैधानिक कार्यालय से लेकर नीचे तक हमारे पास शक्ति के स्तंभ रहे हैं। लेकिन मैं यहां सभी के विचारार्थ एक निवेदन प्रस्तुत करना चाहूंगा। पूर्व छात्र संघ यह सुनिश्चित करने में एक बड़ी ताकत होते हैं कि प्रत्येक संस्थान विकास के पथ पर आगे बढ़ता रहे। एक बार जब पूर्व छात्र इसकी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लेंगे, तो विकास गुणात्मक होगा और इसलिए, संस्थान के पूर्व छात्रों को हमेशा सक्रिय मोड में रहना चाहिए। वास्तव में, किसी संस्थान या राष्ट्र के विकास के लिए विभिन्न संस्थानों के पूर्व छात्रों से अधिक सक्रिय कोई थिंक टैंक नहीं हो सकता है। शिक्षा महत्वपूर्ण है और इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है, शिक्षा को व्यापक सामाजिक विकास से जोड़ना। राष्ट्र निर्माण में मानव संसाधन का सशक्तिकरण एक महत्वपूर्ण घटक है, युवाओं को खुद को सशक्त बनाना होगा और मैं बेहद चिंतित हूं इसलिए मैं इसे आपके विचार के लिए रख रहा हूं कि युवाओं को राजनीतिक उग्र-भाव से नहीं, बल्कि एक स्वस्थ वातावरण वाले समाज के पोषण के अंतिम उद्देश्य के साथ क्षमता निर्माण और व्यक्तित्व विकास के माध्यम से खुद को सशक्त बनाना होगा।

हितधारकों के सुझावों पर विचार के बाद बनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने सही संकेत दिया है और यह एक सुखद संयोग रहा है, वैसे तो यह कार्यान्वयन आपके शताब्दी वर्ष की उपलब्धि पर था लेकिन यह एक परिवर्तनकारी कदम रहा है। यह हमारे युवाओं के मस्तिष्क को अधिक लचीलापन प्रदान करता है और नवाचार तथा कौशल विकास पर जोर देकर सीखने एवं शिक्षा प्राप्त करने का आनंद भी देता है। इस देश में तीन दशकों के बाद सभी हितधारकों के सुझावों पर विचार करने के बाद ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति विकसित की गई थी और यह सम्पूर्ण मानव आबादी के छठे हिस्से के लिए भारत की बड़ी आवश्यकता थी। इससे एक बड़ा परिवर्तन आएगा। मुझे लगता है कि देश के कुछ हिस्सों में इस नीति को अपनाने की आवश्यकता है। मुझे भरोसा है कि वे इस महत्वपूर्ण नीति के अनुरूप ही काम करेंगे, इसका उचित दोहन करेंगे और लाभ उठाएंगे क्योंकि यह कौशल आधारित पाठ्यक्रमों, व्यावसायिक प्रशिक्षण व हमारी शैक्षिक शिक्षा नीति को एक नया आयाम देने पर आधारित है।

विद्यार्थियों के लिए नवप्रवर्तक बनना, उद्यमी बनकर कार्य करना और अपना स्टार्टअप स्थापित करना महत्वपूर्ण है। जिससे कि इस अमृत काल में हमारे योग्य विद्यार्थी उनका अनुकरण करें। मैं आपसे उन युवा उद्यमियों की तरह कार्य करने पर जोर दे रहा हूं, जो इस देश में नौकरी चाहने वाले नहीं बल्कि रोजगार प्रदाता के रूप में उभर कर सामने आए हैं। इस क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां शानदार हैं, हमारे पास जितने यूनिकॉर्न और स्टार्टअप हैं, वे वाकई जमीनी हकीकत हैं, जिसे दुनिया ने स्वीकार किया है। मैं अपने युवा साथियों से आह्वान करता हूं कि वे पूरी तरह से इसका समर्थन करें, इसका लाभ उठाएं और अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा तथा उत्साह के साथ आर्थिक राष्ट्रवाद में डूब जाएं।

राष्ट्रीय हित में नहीं, आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता

आर्थिक राष्ट्रवाद एक ऐसा मुद्दा है जिस पर वर्तमान समय में हमारा ध्यान अवश्य आकर्षित होना चाहिए। प्रौद्योगिकी और संचार के कारण दुनिया हर चीज के लिए बहुत नजदीक और छोटी हो गई है। इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता है कि राजकोषीय लाभ के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता करना निश्चित रूप से राष्ट्रीय हित में नहीं है। जो लोग व्यवसाय, उद्योग एवं व्यापार में हैं, उन्हें अर्थव्यवस्था के भीतर राष्ट्रवाद के सार में विश्वास करना होगा और राजनीतिक और आर्थिक हिस्सेदारी आर्थिक राष्ट्रवाद की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। हमारा देश विश्व का सबसे पुराना और सबसे बड़ा तथा सबसे कार्यात्मक लोकतंत्र है। हमें अपनी महत्‍वपूर्ण ऐतिहासिक उपलब्धियों, उल्‍लेखनीय कार्यों और अपने देश की उन्‍नति पर गर्व करना है जिसे दुनिया ने मान्यता दी है और हमें अपने राष्ट्र को सर्वप्रथम रखना है।

जिन युवा मित्रों ने डिग्री प्राप्त कर ली है, वे अब अपनी पसंद के करियर में कदम रख रहे होंगे। यह आशाजनक समय है। राष्ट्र द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धियां हम सभी को गौरवान्वित करती हैं। हम स्वाभिमानी भारतीय हैं। हमें अपने राष्ट्र और इसकी उपलब्धियों पर गर्व करना है। भारत पहले से कहीं ज्यादा आगे बढ़ रहा है और देश का उत्थान अजेय है। सम्पूर्ण मानव जाति के छठे हिस्से के घर भारत का विकास पथ युवा मस्तिष्क और हमारे युवाओं के योगदान के कारण हमेशा उन्नति की ओर अग्रसर रहेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था सशक्त एवं व्यापक आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों के कारण चुनौतीपूर्ण वैश्विक स्थिति का सामना करने में उल्लेखनीय रूप से लचीली साबित हुई है, जो इसे दुनिया की अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं से आगे रखती है।

विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत

एक दशक पहले भारत 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, वहीं पिछले साल सितंबर 2020 में, हमने महत्‍वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जिसके परिणामस्वरूप हम विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए और इस सफर में हमने औपनिवेशिक प्रभुत्व के अपने स्वामियों को भी पीछे छोड़ दिया है। सभी संकेतों के अनुसार इस दशक के अंत तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश होगा। आज के डिग्रीधारक तथा अन्य संस्थानों में आप में से कई लोगों की तरह, अन्य लोग भी 2047 के योद्धा हैं। आप सभी निर्धारित करेंगे कि वर्ष 2047 में भारत कैसा होगा और मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपकी प्रतिबद्धता और दिशा तथा समर्पण के साथ भारत 2047 में विश्व पटल पर शीर्षस्थ होगा।

आज दुनिया बहुत छोटी है। इस देश में जिस प्रकार की डिजिटल क्रांति दुनिया देख रही है, इसकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र, जो इतना विविधतापूर्ण है और इसका प्रभाव क्या है? अकुशलता एवं भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर दिया गया है, शासन में एक नया उत्साह आया है, नया मानदंड स्थापित किया गया है तथा सरकार में पारदर्शिता और जवाबदेही है। ऐसे कई उदाहरणों के बीच, मिसाल के तौर पर आपको बता दूं कि 2022 में भारत ने 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि का डिजिटल भुगतान लेनदेन दर्ज किया था, जो हमारे लिए एक सामान्य आंकड़ा था, लेकिन अगर हम इसे तुलनीय स्थितियों में देखें, तो यह लेनदेन अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस में संयुक्त लेनदेन के चार गुना से अधिक है। अब जरा कल्पना कीजिये कि इस प्रक्रिया में किस प्रकार की उपलब्धि हासिल हुई है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने हमारे डिजिटल विकास को दी मान्यता

मैं आप सभी से चिंतन और आत्मनिरीक्षण करने का आह्वान करूंगा। यह एक अत्यंत कठिन कार्य है। यह एकतरफा कार्य नहीं है। यह दोनों तरह से होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि ग्रामीण अर्ध-शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक भारतीय ने प्राप्तकर्ता बनने और ऐसे लेनदेन में शामिल होने के लिए स्वयं को तकनीकी रूप से सुसज्जित कर लिया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, जिसके बारे में मेरी पीढ़ी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था, लेकिन दुनिया इसे पहचान रही है। एक और महत्‍वपूर्ण उपलब्धि यह है कि दुनिया में होने वाले ऐसे सैकड़ों लेनदेन में से 46 हमारे देश से ही हैं। एक मान्यता प्राप्त संस्था अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने हमारे डिजिटल विकास को मान्यता दी है। मैंने जो कहा, मैं उसे उद्धृत करता हूं, विश्व स्तरीय डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, डिजिटल परिवर्तन से गुजर रहे अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य कर रहा है।

एक और उदाहरण है जो हम सभी को बहुत गौरवान्वित करेगा और यह समाज के सभी वर्गों के योगदान एवं प्रभावी शासन नीतियों तथा प्रधानमंत्री की पहल व दूरदृष्टि के परिणामस्वरूप ही है, भारत में 850 मिलियन से अधिक स्मार्टफोन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और भारतीयों में एकलव्य बनने तथा औपचारिक ज्ञान के बिना ही कौशल सीखने की अद्भुत क्षमता है। जिसका परिणाम यह है कि पिछले साल प्रति व्यक्ति मोबाइल डाटा खपत चीन और अमरीका की कुल खपत से अधिक हो गई है। मैं 1989 में पहली बार संसद के लिए चुना गया था और मैं केंद्रीय मंत्री भी रहा हूं। मैं उस वक्त की स्थिति से पूरी तरह वाकिफ हूं। दुनिया की पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में शामिल देश ने खुद को शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में बदल लिया है। कमजोर पांच से शीर्ष पांच तक पहुंचना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण का नतीजा है, जो सभी के प्रयासों से क्रियान्वित किया जा रहा है। यह हम सभी के लिए साझा तौर पर गर्व करने का क्षण है।

विकास की अवधारणा अंतिम पंक्ति के लोगों की चिंताओं से प्रेरित

दुनिया भर में देखें, तो आप पाएंगे कि भारत पसंदीदा गंतव्य और अवसर है और हर कोई इस बात से सहमत है। आप दुनिया में जहां भी जाएं, पाएंगे कि भारतीय होना, भारतीय पासपोर्ट धारक होना, अब एक अलग अर्थ रखता है। इसका एक विशेष अर्थ है, लोग आपसे बातचीत करना पसंद करेंगे। यह बड़ा ऐतिहासिक बदलाव इसलिए आया है क्योंकि भारत के विकास की अवधारणा अंतिम पंक्ति के लोगों की चिंताओं से प्रेरित है। यह सुनिश्चित करने के लिए सफलतापूर्वक प्रयास किए गए हैं कि गांव में महानगरों जैसा तकनीकी सशक्तिकरण हो और यह जमीनी हकीकत है। भारत इतिहास के गौरवशाली क्षण में है। हमारा विकास अभूतपूर्व है और उत्थान सदी का एक निर्णायक क्षण है। यह सदी भारत की है, इसका एहसास पहले से ही हो रहा है और जब भारत का उदय होगा तो वैश्विक सद्भाव, वैश्विक शांति, और वैश्विक स्थिरता स्थापित होगी। कोई भी देश हजारों वर्षों के सभ्यतागत लोकाचार का दावा नहीं कर सकता, हमारी सांस्कृतिक विविधता, हमारी सांस्कृतिक संपदा, वैश्विक क्षितिज पर बेजोड़ है। हाल ही में, पिछले दशक में, बुनियादी ढांचे में तेजी से वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए प्रणालीगत सुधारों और सकारात्मक शासन उपायों की एक श्रृंखला शुरू की गई है। हम अलग-अलग देशों में राजमार्गों और विकास को देखते थे। अब अपने देश में देखते हैं। दूसरे हमारी ओर देखते हैं। जो लोग एक समय हमें विकास पर सलाह देते थे, वे आज हमारी सलाह ले रहे हैं। यह एक स्वागतयोग्य बदलाव है।

पूरी दुनिया भारत के साथ साझेदारी के लिए उत्सुक है। क्या आप कभी कल्पना कर सकते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रधानमंत्री की यात्रा किस प्रकार से सफल रही होगी? फ्रांस में? संयुक्त अरब अमीरात में? पिछले दो सप्ताह में, यह कितना प्रभावशाली था और अमेरिका में कांग्रेस और सीनेट में उनका संबोधन एक वैश्विक राजनेता का संबोधन था। हमारे प्रधानमंत्री की गिनती एक वैश्विक राजनेता के रूप में की जाती है, जिनकी आवाज हमेशा मानवता के कल्याण और विवेक के लिए होती है। उन्होंने ही कहा था कि हम विस्तार के युग में नहीं रह रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री की एक ऐतिहासिक घोषणा हाल ही में एक या दो साल से चल रहे मुद्दे के संबंध में थी। उन्होंने कोई घोषणा नहीं की, सिवाय इसके कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है, बातचीत और कूटनीति ही इसे हल कर सकते है। मुद्दों के वैश्विक समाधान में भारत की प्रासंगिकता कभी इतनी प्रमुख नहीं थी जितनी आज है। लेकिन, जब भारत आगे बढ़ता है, जब आप अवसरों का लाभ उठाते हैं, जब आप प्रभाव डालते हैं तो चुनौतियां भी आती हैं। आपकी प्रगति हर किसी को प्रसन्न नहीं कर सकती।

शासन तंत्र पारदर्शिता एवं जवाबदेही पर आधारित है वर्तमान मानदंड

भयावह योजना वाली खतरनाक ताकतें हैं, जो आपके संस्थानों के विकास को धूमिल और अपमानित करती हैं। दुर्भाग्य से, उनमें से कुछ हमारे बीच हैं। मैं युवा दिमागों से पहल करने और अपने कार्यों से इन ताकतों को बेअसर करने की अपील करता हूं, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप सभी ऐसा करेंगे। जब वर्तमान मानदंड और शासन तंत्र पारदर्शिता एवं जवाबदेही पर आधारित है, जहां भ्रष्टाचार का कोई स्थान नहीं है, तो भ्रष्टाचार में हितधारक एक समूह में एकत्रित हो गए हैं, वे बचाव ढूंढने और भागने के लिए सभी ताकतों का सहारा ले रहे हैं। हम राष्ट्र के प्रति ऋणी हैं। हम सभी, हममें से प्रत्येक, विशेष रूप से युवा। भ्रष्टाचार का अर्थ है आपके विकास में बाधा, भ्रष्टाचार का अर्थ है आपके अवसरों में कटौती, भ्रष्टाचार का अर्थ है भ्रष्टाचारियों को संरक्षण और मुख्य मंच पर आना, यह सब समतामूलक विकास और समान अवसरों के विपरीत है। हम पर यह सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्र का कर्तव्य है कि भ्रष्टाचार के प्रति असहिष्णुता हो या इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त न किया जाए।

यह जानना सुखद है कि कानून का उल्लंघन करने वालों के बचने के सभी रास्ते बंद हैं, चाहे वे कोई भी हों। कोई भी कमतर होने का दावा नहीं कर सकता। आपकी कोई भी वंशावली हो, कोई भी पद हो। आप कानून के प्रति जवाबदेह हैं क्योंकि हम कानून द्वारा चलने वाला लोकतंत्र हैं। सभी रास्ते बड़े पैमाने पर बंद कर दिए गए हैं। लेकिन यह तब चिंता का विषय है, जब न्यायिक प्रक्रियाएं गति पकड़ रही हैं, जब कानून अपना काम कर रहा है, तो कानून की आंच महसूस करने वालों को सड़कों पर क्यों उतरना चाहिए? यह आप सभी को सोचना चाहिए कि हमारे पास न्यायिक प्रणाली में शिकायत निवारण का एक मजबूत तंत्र है। यदि किसी को तत्काल अदालत से नोटिस मिलता है, तो नए रास्तों को खोलने का एकमात्र रास्ता वैध तरीकों का सहारा लेना है। निश्चित रूप से इसे सड़कों पर नहीं ले जाना चाहिए। कानून के शासन को चुनौती देने के लिए सड़क पर प्रदर्शन अच्छे शासन या स्वाभाविक लोकतंत्र की पहचान नहीं है। मुझे यकीन है कि युवा दिमाग इस पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह देखना होगा कि इन ताकतों को हतोत्साहित किया जाए, वे वह सब कर सकते हैं जो उनके मन में हो।

आपके पास विचार है, तो सिस्टम आपकी मदद करता है

बुनियादी ढांचे का क्षेत्र हो या प्रौद्योगिकी का, प्रधानमंत्री की दृष्टि और कार्यान्वयन अभूतपूर्व गति एवं पैमाने पर रहा है। मैं आपको बताऊंगा, ढाई साल से भी कम समय में नया संसद भवन बन गया, लोग सोचेंगे कि भवन बन गया है? मैं आपको उससे कहीं अधिक बता सकता हूं जो बना है, अंदर सब कुछ है, इतने सारे कारकों को ध्यान में रखा गया है, सर्वोत्तम तकनीक, आपने कभी कल्पना नहीं की होगी कि यह इतने कम समय में प्राप्त किया जा सकता है, जब दुनिया के साथ-साथ हम भी महामारी का सामना कर रहे थे। आप सभी सरकारी नीतियों और पहलों की श्रृंखला के परिणामस्वरूप इसके सकारात्मक प्रभाव को महसूस कर रहे हैं। हमारे पास अब एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र है, जो हर युवा दिमाग को अपनी क्षमता और प्रतिभा का उपयोग करने और अपने सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने के लिए अपनी ऊर्जा को उजागर करने की अनुमति देता है। हमारे समय में हमारे पास वह पारिस्थितिकी तंत्र नहीं था। हमें बड़े पैमाने पर संघर्ष करना पड़ा। लेकिन अब अगर आपके पास कोई विचार है, तो सिस्टम आपकी बहुत बड़ी मदद करता है, जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते।

2047 के योद्धाओं के रूप में, मैं आप सभी युवा दिमागों से आग्रह करता हूं कि हमारे देश के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए खुद को समर्पित करें। आपको अपने मातृ संस्थान से प्राप्त अंतर्दृष्टि का लाभ उठाना चाहिए और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए उनका उपयोग करना चाहिए। कुलपति प्रोफेसर नज़मा अख्तर ने शिक्षा के महत्व पर जोर दिया, मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कथन पर विचार करना चाहूंगा। उन्होंने कहा था, “शिक्षा को इतना क्रांतिकारी बनाना चाहिए कि वह सबसे निर्धन ग्रामीणों की जरूरतों को पूरा कर सके।”मुझे लगता है कि यह अंतिम परीक्षा है और ठीक यही हो रहा है। जब हर घर में बिजली है, हर घर में गैस कनेक्शन है। हर घर में नल कनेक्शन का कार्य पूरा किया जा रहा है। महात्मा गांधी का सपना तब साकार हुआ है जब भारत अपने वर्तमान काल में है।

सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिक के रूप में मानवता का 1/6 भाग यहां रहता है। यह सुनिश्चित करना प्रत्येक नागरिक विशेषकर युवाओं का कर्तव्य है कि हमारे देश के प्राकृतिक संसाधनों, चाहे जल, पेट्रोलियम या खनिज हों, उनका विकास और आर्थिक गतिविधियों के लिए अधिकतम उपयोग किया जाए। अब, मैं खुद आश्चर्यचकित हूं और मुझे यकीन है कि आप मेरी चिंता से सहमत होंगे। इन संसाधनों का उपयोग आपकी जेब से कैसे निर्धारित किया जा सकता है? आपकी जेब यह तय कर सकती है कि आपके पास कैसा घर है, किस तरह का फर्नीचर है, लेकिन जब इन संसाधनों, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग की बात आती है, तो हम सभी उन संसाधनों के न्यासी हैं, उनका न्यायसंगत वितरण होना चाहिए। इसलिए, हमें एक संस्कृति बनानी चाहिए कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग आपकी आवश्यकता के अनुसार सर्वोत्तम होगा, निश्चित रूप से आपकी वित्तीय क्षमता के अनुसार नहीं।

नदी की तरह घुमावदार बनो, अपना रास्ता खुद चुनो

यह एक महान विश्वविद्यालय है, यह प्रगति पर है, इसलिए मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि इस देश के बाहर इसी तरह के थिएटरों में वे भारत विरोधी कथा स्थापित करने के स्रोत बन गए हैं। इस प्रक्रिया में, वे हमारे छात्रों, हमारे संकाय सदस्यों का उपयोग करते हैं, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप हर सरकारी कार्रवाई में आंख मूंद लेंगे, विवेकशील होंगे, निर्णयात्मक होंगे, जिज्ञासु होंगे, निष्पक्षता पर ध्यान केंद्रित करेंगे और फिर ऐसी स्थितियों से निपटेंगे। यह आश्चर्य की बात है कि जिन लोगों को किसी न किसी पद पर इस देश की सेवा करने का अवसर मिला है, जैसे ही वे अपने पद से हटते हैं, वे उस महान उन्नति की ओर ध्यान देने लगते हैं, जो हमारा देश चारों ओर कर रहा है। मुझे यकीन है कि युवा इस पर ध्यान देंगे, सक्रिय कदम उठाएंगे और जामिया सही जगह है, बहुत प्रभावशाली युवा एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र को उत्प्रेरित करेगा, जहां देश या विदेश में ऐसे राष्ट्र-विरोधी आख्यानों को न केवल निष्प्रभावी किया जाएगा, बल्कि नष्ट कर दिया जाएगा। ऐसी गलत सूचनाओं का प्रसार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

आज का दीक्षांत समारोह वास्तव में आपके, आपके परिवारों और उस संस्थान जामिया मिलिया इस्लामिया के लिए बहुत गर्व और संतुष्टि का क्षण है, जिसने आपकी शैक्षणिक यात्रा के दौरान आपका हर तरह से ख्याल रखा। आज, आप प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों का हिस्सा बनेंगे, जिनमें से कुछ यहां प्रतिनिधित्व करते हैं। जब आप दुनिया में कदम रखते हैं तो इसके साथ एक जबरदस्त जिम्मेदारी भी आती है, अपनी पहचान बनाने के लिए, आप एक टैग लेकर चलते हैं और आप एक सदी से भी अधिक पुराने संस्थान से डिग्रीधारक होने का टैग लेकर चल रहे हैं। आपके पास एक आशाजनक कैरियर है, आशाजनक भविष्य है, लेकिन नहर की तरह न बनो। मैं अक्सर कहता हूं कि नहर कागज पर खींची जाती है, नदी की तरह बनो, घुमावदार, अपना रास्ता खुद चुनो, लगन और योग्यता के अनुसार कार्य करो। कभी भी असफलता का डर न रखें, जिस क्षण आपको असफलता का डर होगा, आप निडर या उद्यमशील नहीं होंगे। देश यह बर्दाश्त नहीं कर सकता कि हमारे युवा अपनी कार्यशैली को लेकर दृढ़ न हों। यदि आपके पास कोई विचार है तो मैं आपसे कहूंगा कि कृपया उस पर कार्य करें और मुझ पर विश्वास करें कि कोई भी पहली बार में किसी विचार के साथ सफल नहीं हुआ है। चंद्रमा पर उतरने का प्रयास किया गया था, लेकिन क्या यह पहली बार में सफल रहा। ऐसा कई ऐतिहासिक विकासों के साथ हुआ जो वास्तव में मानवता की जरूरतों को पूरा करते हैं।

सफल होने के लिए लक्ष्य के प्रति समर्पित होना होगा

मैं आपका ध्यान एपीजे अब्दुल कलाम की ओर आकर्षित करना चाहूंगा और उन्होंने जो कहा था, “आपके मिशन को सफल करने के लिए और आपको याद दिला दूं कि वह एक कर्मठ व्यक्ति थे। वह इसरो से जुड़े थे।”उनकी अपनी असफलताएं थीं, उन्होंने उन पर विचार किया है, अगर युवा इसरो में उनकी विफलताओं को देखें, तो विफलतायें ही भविष्य में सफलतायें थीं। सफलता की सीढ़ी, जिन्होंने वह बनाया, जिसके लिए उन्हें याद किया जाता है। “अपने मिशन में सफल होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकदम समर्पित होना होगा।” जैसा कि उन्होंने एक अन्य अवसर पर कहा था, मैं फिर से उद्धृत करता हूं, “महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा सफल होते हैं।”लेकिन जो लोग केवल सपने देखते हैं, उनके दिमाग में एक अच्छा विचार होता है, वे अपने दिमाग को सपनों के ठहरने का स्थान बनने देते हैं। आपको अंत तक सभी पर प्रभावशाली रहना होगा। हम सबसे बड़ा सबसे पुराना लोकतंत्र हैं, जो सभी स्तरों पर कार्यशील है। मैं आपको बताऊंगा, दुनिया का कोई भी देश गर्व से नहीं कह सकता कि उसने हमारे जैसा संवैधानिक लोकतंत्र तैयार किया है। हमारा संविधान ग्राम स्तर पर, पंचायत स्तर पर, पंचायत समिति स्तर पर, जिला परिषद स्तर पर और निश्चित रूप से, राज्य स्तर एवं केंद्रीय स्तर पर लोकतंत्र का प्रावधान करता है।

मूल लोकतांत्रिक मूल्य हमारे सभ्यतागत लोकाचार में गहराई तक अंतर्निहित हैं, वे हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते हैं और यही कारण है कि जी20 भारत की अध्यक्षता में है। आदर्श वाक्य ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य है’और हम इसे प्रदर्शित करते हैं, जब दुनिया महामारी देख रही थी, तो हमारे पास हमारे 1.3 अरब लोगों की देखभाल करने वाली कोविड मैत्री थी। हम कोवैक्सिन के साथ कई अन्य देशों की भी मदद कर रहे थे। एक चिंता जो मुझे आपके साथ साझा करनी चाहिए। विशिष्ट बुद्धिजीवी वर्ग यहां मौजूद है, युवा दिमाग यहां मौजूद हैं, संसद के कुछ लोग भी यहां मौजूद हैं। लोकतंत्र क्या होता है? लोकतंत्र पूरी तरह संवाद पर आधारित है। चर्चा, विचार-विमर्श और बहस सार्वजनिक हित को सुरक्षित करने के लिए है। निश्चय ही, लोकतंत्र में अशांति नहीं हो सकती। यह व्यवधान नहीं हो सकता, व्यवधान और उपद्रव लोकतांत्रिक मूल्यों के सार के विपरीत हैं। मुझे आप सभी को यह बताते हुए दुख हो रहा है कि लोकतंत्र के मंदिरों को कलंकित करने के लिए अशांति और व्यवधान को एक रणनीतिक साधन के रूप में हथियार बनाया गया है। लोकतांत्रिक मंदिरों को बड़े पैमाने पर लोगों के लिए न्याय सुरक्षित करने के लिए चौबीसों घंटे कार्यरत रहना चाहिए।

संवाद की डोर मानवता और प्रजातंत्र की जीवन डोर है

संसद को हर समय चालू न रखने का कोई बहाना नहीं हो सकता, इस देश के लोगों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। लेकिन मैं इसके वित्तीय निहितार्थ पर नहीं हूं। मैं बड़ा मुद्दा चाहता हूं, जब संसद या विशेष दिन में व्यवधान होता है, तो प्रश्नकाल नहीं हो सकता है, सवाल यह है कि शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिए हमारा तंत्र क्या है। सरकार प्रत्येक प्रश्न और उठाए गए पूरकों का उत्तर देने के लिए बाध्य है। इससे शासन को बहुत बड़ा लाभ होता है। हर कोई ट्रैक पर है, प्रश्नकाल न होने को कभी भी तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता। जब आप लोकतांत्रिक मूल्यों और सुशासन के संदर्भ में सोचते हैं। आज के हालात कितने विचित्र हो गए हैं, असहमति तो स्वाभाविक है, यह आवश्यक नहीं है कि हम हर बात पर सहमत हों, अलग-अलग विचार हो सकते हैं, पर असहमति को विरोध में बदलना जनतंत्र के लिए अभिशाप से कम नहीं है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता की मूल भावना से यह मेल नहीं खाता। असहमति को विरोध मत मानो, संवाद की डोर मानवता और प्रजातंत्र की जीवन डोर है। इसमें खिंचाव और गांठ जन कल्याण के लिय हितकारी नहीं हो सकते हैं, एक छत के नीचे विरोध और असहमति स्वाभाविक है। विरोध का प्रतिशोध में बदलना प्रजातंत्र के लिये हितकारी नहीं है। इसका एक ही निदान है- संवाद और विचार-विमर्श।

यदि वे परिवार या समाज में संचार बंद कर देते हैं और यदि लोकतंत्र के मंदिरों में ऐसा अलगाव है तो निश्चित रूप से इसके गंभीर परिणाम होंगे। मुझे यकीन है कि एक पारिस्थितिकी तंत्र उत्पन्न करना, बड़े लोकतंत्र के प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। आपकी आवाज़ किसी भी अन्य चीज़ से अधिक मायने रखती है। आप इस देश के विकास और लोकतंत्र के फलने-फूलने में सबसे बड़े हितधारक हैं। प्रजातंत्र में प्रतिघात का कोई स्थान नहीं है - यही हमारी हजारों वर्षों की संस्कृति का अमृत है। मैं अपनी बात समाप्त करते हुए आपको एक विचार के साथ छोड़ता हूं और यह विचार भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने देश को दिया था। 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में अपने समापन भाषण में उन्होंने जो कहा, वह मैं कभी नहीं भूलता। मैं इससे अधिक कुछ नहीं कहूंगा, मैं केवल उसे उद्धृत करूंगा “ऐसा नहीं है कि भारत कभी स्वतंत्र देश नहीं था। मुद्दा यह है कि एक बार उसने अपनी स्वतंत्रता खो दी थी। क्या वह इसे दूसरी बार खो देगा? जो बात मुझे बहुत परेशान करती है, वह यह है कि न केवल भारत ने पहले एक बार अपनी स्वतंत्रता खोई है, बल्कि उसने इसे अपने ही कुछ लोगों के धोखे और विश्वासघात के कारण खोया है।”

हम ऐसा नहीं होने दे सकते, हमें अपने संस्थापकों के प्रति सच्चा रहना होगा। हमें राष्ट्र पर विश्वास करना होगा, राष्ट्र को हमेशा किसी भी चीज़ से आगे रखने के अलावा हमारी कोई अन्य संस्कृति नहीं हो सकती। और यह वैकल्पिक नहीं है, यह अनिवार्य नहीं है, हमारे लोकतंत्र के फलने-फूलने और समृद्ध होने को सुनिश्चित करने का यही एकमात्र तरीका है। दोस्तों, मैं सभी स्नातक छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को बधाई देता हूं, आने वाले वर्षों में जामिया मिलिया इस्लामिया और अधिक ऊंचाइयों को छूता रहे। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है, यह ऊंचा और ऊंचा उठता रहेगा। और मेडिकल कॉलेज और अस्पताल निश्चित रूप से वैश्विक स्तर पर उच्चतम स्थान हासिल करेंगे।

Subscribe Newsletter
Submit your email address to receive the latest updates on news & host of opportunities
Entrepreneur Magazine

For hassle free instant subscription, just give your number and email id and our customer care agent will get in touch with you

or Click here to Subscribe Online

You May Also like

Newsletter Signup

Share your email address to get latest update from the industry