970*90
768
468
mobile

इस तरह MSMEs के रेवेन्यू में उछाल कर रहा है भारत का आर्थिक और सामजिक विकास

Shahram Warsi
Shahram Warsi Mar 18 2019 - 3 min read
इस तरह MSMEs के रेवेन्यू में उछाल कर रहा है भारत का आर्थिक और सामजिक विकास
एमएसएमई ने 2017-18 में विकास 27 प्रतिशत और ऑपरेटिक लाभ 66 प्रतिशत तक रिकॉर्ड किया है। जो नोट बंदी और जीएसटी की चुनौतियों के बाद इस सेक्टर में फिर से वापसी की गूंज की ओर इशारा कर रहा है।

दुनिया भर में एमएसएमई (माइक्रो, स्मॉल एंड मिडियम एंटरप्राइजेज) बहुत से विकसित और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था का अधार स्तंभ है और यह रोजगार अवसरों के निर्माण के संदर्भ में महत्वपूर्ण किरदार निभाता है। एमएसएमई में 50 मिलियन से भी ज्यादा लोग काम करते है, यह पूंजी के वितरण को संतुलित करता है और ये भारत की जीडीपी में योगदान देते हैं। ढांचे से संबंधी समस्याओं और सही बाजार जुड़ावों की कमी के बावजूद इसने इस सेक्टर में बहुत प्रभाव निर्माण किया है। कार्यशील पूंजी मापदंडों में सुधार ने इस क्षेत्र से जुड़ी पूंजी की चुनौतियों को भी समाप्त कर दिया है।

अक्वाइट रेटिंग्स के सीईओ शंकर चक्रबर्ती ने बताया, 'एमएसएमई सेक्टर पहले से ही सुधार पथ पर है और ये सुधार प्रदर्शन वित्त वर्ष 2019 में भी चलता रहेगा। ट्रांसयूनियन के साथ मिलकर रिलीज की गई रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि 2017 के अंत में 4 लाख की तुलना में 2018 के शुरुआत में 5 लाख नए उधार लेने वाले उधार के चैनल से उधार लिया है।'

लाभ

एमएसएमई बड़े स्तर पर रोजगार का निर्माण करने में मदद करते हैं क्योंकि इस सेक्टर में कम निवेश की आवश्यकता होती है। ये रोजगार या बेरोजगारी की समस्या को भी कम करने में मदद करता है और इस सेक्टर में निवेश करने के लिए लोगों के लिए बहुत अधिक अवसर बना रहा है। हालांकि इस सेक्टर में ये अपने बचाव करने की क्षमता रखता है जो दोनों घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में जोखिम से उठा रहे हैं।  एमएसएमई खेती के बाद दूसरे नंबर पर सबसे बड़ा रोजगार का सेक्टर है। यह 45 प्रतिशत निमार्ण सेक्टर और 40 प्रतिशत निर्यात सेक्टर में योगदान देता है। यह भारत के रोजगार सैक्टर में 69 प्रतिशत के आसपास योगदान देता है और यह उसकी यह हिस्सेदारी बहुत ही मददगार साबित होती है।

बड़े पैमाने पर रोजगार अवसर बनाता

एमएसएमई बहुत अधिक रोजगार अवसर बना रहा है क्योंकि इस सेक्टर में व्यवसाय के लिए बहुत कम पूंजी की आवश्यकता होती है। यह सेक्टर बहुतों के लिए लाभकारी रहा है। यह रोजगार अवसर देता है। भारत ने 1.2 मिलियन ग्रेजुएट क छात्रों को हर साल नौकरियों के अवसर दिए है जिसमें से कुल में से 0.8 मिलियन इंजीनियर हैं।

आर्थिक स्थिरता

भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला एमएसएमई देश की जीडीपी में 8 प्रतिशत का योगदान देता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां छोटे कारोबारियों के एमएसएमई क्षेत्र में निर्माण, निर्यात और रोजगार सेक्टर्स में योगदान को देखते हुए आधे तैयार और सहायक उत्पादों को खरीद रही है। यह एमएसएमई और बड़ी कंपनियों के बीच तार जोड़ने में मदद करता है और सरकारी रेवेन्यू को 11 प्रतिशत तक बढ़ाता है।

सम्मिलित विकास

भारत में पूंजी के असमान वितरण के कारण माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम-साइज्ड एंटरप्राइजेज के मंत्रालय ने कई सालों तक अपने एजेंडा में सम्मिलित विकास या कहें समान विकास को सबसे ऊपर रखा है। गरीबी और अभाव के साथ-साथ समाज के हाशिए के वर्ग भी एमएसएमई के मंत्रालय के सामने आई बड़ी चुनौतियां है।

सस्ता श्रम

बड़े पैमाने की कंपनियों के लिए प्रभावी मानव संसाधन मैनेजमेंट के जरिए मानव संसाधन को बनाए रखना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रहा है।लेकिन एमएसएमई में श्रम की आवश्यकता कम होती है जो उसके मालिक पर पड़ने वाले खर्चो को कम कर देता है।

मेक इन इंडिया में भूमिका

एमएसएमई मेक इन इंडिया अभियान की बड़ी सफलता में सबसे महत्पूर्ण रहा है और नए व्यवसाय को शामिल करना आसान बना दिया है।सरकार फाइनेशियन इंस्टीट्यूट्स को एमएसएमई सेक्टर के कारोबारियों को ज्यादा उधार देने के लिए निर्देश दे रही है।

एमएसएमई देश के विकास में योगदान देने वाले सभी सेक्टर में एक महत्वपूर्ण सेक्टर है। यह निर्यात का लाभ उठाता है और बहुत से रोजगार अवसर का निर्माण अकुशल, नए ग्रेजुएट ओर बेरोजगारों के लिए करता है।

Subscribe Newsletter
Submit your email address to receive the latest updates on news & host of opportunities
Entrepreneur Magazine

For hassle free instant subscription, just give your number and email id and our customer care agent will get in touch with you

or Click here to Subscribe Online

Newsletter Signup

Share your email address to get latest update from the industry