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ईवी में आग की घटनाओं पर सरकार ने किया पैनल का गठन

Toshi Shah
Toshi Shah Jul 12 2022 - 3 min read
ईवी में आग की घटनाओं पर सरकार ने किया पैनल का गठन
हाल के दिनों में इलेक्ट्रिक वाहनों, खासतौर पर दोपहिया वाहनों में आग लगने की कई घटनाएं देखी गई हैं। ओला इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक और प्योरईवी जैसे इलेक्ट्रिक दोपहिया निर्माताओं ने अपने वाहनों में आग लगने की घटनाओं को देखते हुए स्कूटरों को रिकॉल कर लिया था।

देश के कुछ हिस्सों से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में आग लगने की बढ़ती घटनाओं के बीच, सरकार ने बैटरी प्रमाणन और गुणवत्ता नियंत्रण के मानक तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम ऐसी घटनाओं का दोहराव रोकने के लिए उठाया गया है। केंद्र ने विशेषज्ञों का एक पैनल बनाया है। इसमें विशाखापत्तनम स्थित नौसेना विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला समेत आईआईटी मद्रास, आईआईएस बंगलोर; और एडवांस्ड केमिकल साइंस के विशेषज्ञ शामिल हैं।

समिति उत्पाद की सही गुणवत्ता सुनिश्चित करने के तरीके सुझाएगी। उन्हें प्रमुख घटकों के परीक्षण और सत्यापन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के साथ आना होगा और ईवी में इस्तेमाल होने वाली बैटरी के लिए एक प्रमाणन मानक तैयार करना होगा, ”

एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि समिति को 15 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट देनी है।

माना जा रहा है कि बैटरी प्रबंधन प्रणाली में निर्माण दोष, बाहरी क्षति, या तैनाती में दोष समेत कई अन्य कारणों से इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में आग लग रही है। कुछ मामलों में, दोषपूर्ण चार्जिंग भी आग लगने का एक कारण हो सकती है।

वहीं पिछले महीने महाराष्ट्र में टाटा नेक्सन ईवी कार में आग लग गई, जिसे भारत में किसी यात्री वाहन में आग लगने की पहली बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है। नेक्सन देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार है। टाटा मोटर्स ने एक बयान में कहा कि सड़क पर 30,000 नेक्सॉन ईवी हैं, जिन्होंने लगभग चार वर्षों में पूरे देश में 10 करोड़ किमी से अधिक की दूरी तय की है।

सेंटर फॉर फायर एक्सप्लोसिव एंड एनवायरनमेंट सेफ्टी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी के प्रतिनिधित्व वाली एक अन्य समिति को ऐसी विशेष परिस्थितियों की जांच करने और उपचारात्मक उपायों का सुझाव देने के लिए कहा गया था। एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने प्रारंभिक जांच के आधार पर वाहन निर्माताओं से संपर्क किया है और जवाब मांगा है।

उल्लेखनीय है कि कच्चे तेल का आयात बिल घटाने के एक बड़े उद्देश्य के साथ सरकार का ध्यान यात्री वाहन मालिकों को आंतरिक दहन इंजन (आईसीआई) वाले वाहनों से ईवी में स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित करने पर है। इसमें सरकार को आंशिक सफलता भी मिली है, क्योंकि उच्च ईंधन की कीमतों ने भी लोगों को इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने में मदद की है। दूसरी तरफ टाटा मोटर्स, एमजी और ह्युंडई जैसी कंपनियों ने किफायती ईवी पेश की हैं। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने अभी तक बाजार में एक ईवी पेश नहीं की है, हालांकि यह भारत में बैटरी ईवी विकसित करने के लिए टोयोटा के साथ मिलकर काम कर रही है। कंपनी ने अगले 10 वर्षों के भीतर शुद्ध पेट्रोल कार का निर्माण बंद करने की भी घोषणा की है और उन्हें हाइब्रिड पावरट्रेन के साथ फिट किया जा सकता है।

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने में उपभोक्ताओं की झिझक का सबसे बड़ा कारण चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्गों यानी एनएच और एक्सप्रेसवे मे भी  ईवी चार्जिंग का बुनियादी ढांचा पूरी तरह तैयार नहीं किया जा सका है। हालांकि देशभर में लगभग 69,000 पेट्रोल पंपों पर कम से कम एक ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की सरकार की योजना है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की थी कि सरकार वर्ष 2030 के बाद सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्यूफैक्चरिंग की अनुमति देने पर विचार कर रही है।

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