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ज़ोमैटो का “10 मिनट में डिलीवरी” मॉडल कितना कारगर?

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Apr 15 2022 - 4 min read
ज़ोमैटो का “10 मिनट में डिलीवरी” मॉडल कितना कारगर?
पैकेजिंग और सिर्फ व्यंजन तैयार करने में 4-5 मिनट का समय लगता है, यानि डिलीवरी ब्वॉय के पास सिर्फ 5 मिनट ही बचेंगे साथ ही उसकी सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है और 10 मिनट में डिलीवरी का तनाव, असुरक्षित तरीक़े से गाड़ी चलाने और अनुचित तनाव को बढ़ावा देगा।

दीपिंदर गोयल भारत में सबसे बड़े रेस्तरां एग्रीगेटर और फूड डिलीवरी सेवा में से एक ज़ोमैटो के सह-संस्थापक और सीईओ के ट्वीट ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं । उन्होंने 10 मिनट के अंदर ही अल्ट्रा-फास्ट डिलीवरी हासिल करने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य का ऐलान किया, जिससे वह कड़ी आलोचना के शिकार हो गए।
उनकी इस महत्वाकांक्षी योजना पर कई स्टैंड-अप कॉमेडियन ने सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह से चुटकी ली कि वे ज़ोमैटो के ऐप पर खाने का ऑर्डर करते हैं, लेकिन डिलीवरी बॉय 10 मिनट में केवल सब्ज़ी, तेल और मसाले डिलिवर करने के लिए दरवाज़ा खटखटाता है। इसके अलावा, सोशल मीडिया, ज़ोमैटो के 10 मिनट के फूड डिलीवरी फीचर ने अल्ट्रा-फास्ट डिलीवरी स्पेस में डिलीवरी ब्यॉज़, रेस्तरां समुदाय और उद्योग से जुड़े लोगों की तरफ से आलोचना हो रही है।
डिलीवरी पार्टनर्स का मानना है कि 10 मिनट में डिलीवरी करना संभव ही नहीं है क्योंकि 1 किमी के दायरे में भी 15 मिनट का वक़्त लगता है।

मोमोज़ और बिरयानी परोसने वाले होटल मालिकों का कहना है कि पैकेजिंग और सिर्फ व्यंजन तैयार करने में 4-5 मिनट का समय लगता है, यानि डिलीवरी ब्वॉय के पास सिर्फ 5 मिनट ही बचेंगे साथ ही उसकी सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है और 10 मिनट में डिलीवरी का तनाव, असुरक्षित तरीक़े से गाड़ी चलाने और अनुचित तनाव को बढ़ावा देगा।

ज़ोमैटो की 10 मिनट की अल्ट्रा फास्ट डिलीवरी के फायदे और नुक़सान हैं आइए पहले नज़र डालते हैं इसके फायदे पर- जल्द डिलीवरी का मतलब तेज गति से वाहन चलाना नहीं है-

कई लोगों के लिए, 10 मिनट की डिलीवरी एक मार्केटिंग ड्रामा जैसा लगता है। जब हम तेज़ डिलीवरी के बारे में सुनते हैं तो हमारे सामने ट्रैफिक जाम से भरी हुई सड़क और भीड़ के हुजूम की तस्वीरें सामने आने लगती हैं। लेकिन ज़ोमैटो इसके अलावा भी कई मॉडल तलाश रहा है जैसे बी2बी के लिए गोदामों का उपयोग साथ ही साथ बहुत तरह की सुविधाएं भी। यह उन संभावनाओं को ढूंढ रहा है जहां रेस्तरां, उसके भागीदारों और उसी इलाक़े में स्थित क्लाउड किचन कंपनियों के साथ साझेदारी करके सीधे तौर पर आइटम को मेनू कर सकते हैं। जिससे डिलीवरी में लगने वाला समय आसानी से घटाया जा सकेगा।

डिलीवरी में डेटा करेगा मदद

रेस्तरां और उस इलाके में सेट किए गए डेटा से ज़ोमैटो को यह अनुमान लगाने में मदद मिलेगी कि भविष्य में कब और कहाँ फूड आईटम् बेचा जा सकता है। यह डेटा, ज़ोमैटो को तेज़ी से डिलीवरी करने के सपने को साकार करने में मददगार साबित होगा। ब्लिंकिट के अधिग्रहण से फूड एग्रीगेटर को ऐप के ज़रिए किराने का सामान ख़रीदने से उत्पन्न ग्राहक डेटा को असरदार तरीक़े से भुनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इस महत्वाकांक्षी योजना को साकार किया जा सकता है अगर ज़ोमैटो के पास पहले से मौजूद लॉजिस्टिक्स के पूल पर प्रभावी ढंग से पूंजीकरण करने और 10 मिनट में फूड डेलिवर करने के लिए ज़रुरी तकनीकी विशेषज्ञता और बैक-एंड टूल हो।
अब आइए नज़र डाल लेते हैं इससे उत्पन्न होने वाले कुछ नुक़सान पर

भोजन की गुणवत्ता में गिरावट

खाने की जल्द डेलिवरी एक विदेशी परिकल्पना है जो ख़ास तौर से अमेरिकी आबादी के लिए अधिक उपयुक्त है। अमेरिकी खान पान में अकसर सलाद होते हैं जिन्हें अधिक हीटिंग या पकाने की ज़रुरत नहीं होती है।
इसके अलावा, इस बात की बहुत अधिक संभावना बढ़ जाएगी कि भोजन तैयार करने के समय को कम करने की होड़ में भोजन ताज़ा बना हुआ न हो, बल्कि आधा पका हुआ स्टोर किया जाएगा जो ऑर्डर आने के बाद पूरी तरह पकाया जाएगा। खाने को बार-बार गर्म करने से इसके पोषक तत्व और ख़ुशबू नष्ट होंगे जिसके चलते भोजन की गुणवत्ता से समझौता होगा।

ज़ोमैटो को अंधेरे में रखना

त्वरित फूड डिलिवरी सड़क सुरक्षा और इंसान के जीवन के लिए एक चिंता का विषय हैं। महामारी के बाद ऐसी बहुत सी कंपनी और व्यवसाय हैं जिन्होंने अपने कर्मचारियों के प्रति लापरवाही और उदासीनता दिखाई ऐसे में लोग उन व्यवसायों की सराहना कर रहे हैं जो सामाज और पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं। लोग उन कंपनियों के प्रति वफादार रहना चाहते हैं जो ईमानदारी से समाज की सेवा कर रही हैं और फायदा कमाने से अधिक इंसानों को महत्व दे रही हैं। पर ज़ोमैटो द्वारा इस घोषणा के कुछ ही क्षण बाद, ट्विटर ने ज़ोमैटो की आलोचना के साथ आग पकड़ ली, जिसने इसे असंवेदनशील और करुणा रहित बताया।

क्विक डिलीवरी स्पेस में, ज़ोमैटो अकेली कंपनी नहीं है जो इसमें प्रवेश करना चाहती है। डुंज़ो, स्वगि इंसटास्मार्ट और ज़ैप्टो अधिकांश चीज़ों की 10 -20 मिनट के अंदर डिलीवरी करते हैं। हालांकि, ज़ोमैटो के लिए प्रति डिलीवरी टिकट का आकार देखा जाना चाहिए क्योंकि छोटा टिकट आकार मॉडल को बनाए रखना मुश्किल बना देगा। वहीं कंपनियों का दावा है कि वे तेज़ डिलीवरी को प्रोत्साहित नहीं करती हैं, पर अधिकांश डिलीवरी करने वाले एक दिन में अधिकतम डिलीवरी हासिल करना चाहते हैं। ऐसे प्लेटफॉर्म से डिलीवरी कर्मियों की न्यूनतम आय में बढ़ोतरी होनी चाहिए। इसके अलावा, ऐसा लगता है कि मॉडल निवेशकों के पैसे बर्बाद कर रहा है जब तक कि कोई प्रीमियम नहीं लिया जाता। आज की तेज़ रफ्तार जीवनशैली के साथ, 10 मिनट का मॉडल शुरु तो किया जा सकता है पर बड़ा सवाल यह है कि इस मॉडल से लाभ कितना होगा और खुद को बनाए रखने की इसकी क्षमता कितनी है।

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