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ट्रूमेड्स ने सीरीज बी फंडिंग राउंड में लगभग 165 करोड़ रुपये जुटाए

Nitika Ahluwalia
Nitika Ahluwalia Apr 27 2022 - 3 min read
ट्रूमेड्स ने सीरीज बी फंडिंग राउंड में लगभग 165 करोड़ रुपये जुटाए
सीरीज बी फंडिंग राउंड में लगभग 165 करोड़ रुपये जुटाने के साथ ट्रूमेड्स की कुल फंडिंग 2.1 बिलियन हो गई है। कंपनी की योजना उन डॉमेस्टिक मार्केट में तेजी लाने की है जिन्हे अभी तक छुआ न गया हो और देश भर में अपने कवरेज का विस्तार करने के लिए फंड का उपयोग करने की है।

टेली-हेल्थ प्लेटफॉर्म ट्रूमेड्स ने वेस्टब्रिज कैपिटल के नेतृत्व में सीरीज बी राउंड में 22 मिलियन डॉलर (165 करोड़ रुपये) जुटाए हैं। इस फंडिंग राउंड में इंफोएज वेंचर्स, आशा इम्पैक्ट, वेस्टब्रिज कैपिटल, द इंटरनेशनल एवलांच नेस्ट एग "आईएएन फंड" और इंडियन एंजल नेटवर्क फंड के साथ-साथ मौजूदा निवेशकों ने भी भाग लिया।

ट्रूमेड्स ने 3 राउंड से अधिक की फंडिंग में कुल 2.1 बिलियन जुटाए हैं। उनकी लेटेस्ट फंडिंग 25 अप्रैल, 2022 को सीरीज बी राउंड से जुटाई गई थी। इस कंपनी को 5 निवेशकों द्वारा फंडिंग मिली। इंफो एज वेंचर्स और वेस्टब्रिज कैपिटल सबसे हालिया निवेशक हैं।

आपको बता दे 1 मई 2020 में इंफोएज वेंचर्स के नेतृत्व में ट्रूमेड्स ने सीड राउंड में 57.5 मिलियन जुटाए थे।
कंपनी की योजना उन डॉमेस्टीक मार्कीट में तेजी लाने की है जिन्हे अभी तक छुआ न गया हो और देश भर में अपने कवरेज का विस्तार करने के लिए फंड का उपयोग करने की है।

पिछले साल ट्रूमेड्स ने सीरीज ए राउंड में 50 लाख डॉलर (36.4 करोड़ रुपये) जुटाए थे। कंपनी क्रोनिक पेशेंट के लिए सबस्क्रीप्शन जैसी सेवाएं प्रदान करती है।इस कंपनी को अक्षत नैयर और कुणाल वानी द्वारा स्थापित किया गया है। यह कंपनी मुंबई में स्थित है।
ट्रूमेड्स क्रोनिक पेशेंट को वैकल्पिक ब्रांडों का सुझाव देने के साथ-साथ मुफ्त डिलीवरी प्रदान करती है। इसने अब तक 5 लाख से ज्यादा ग्राहकों को सर्विस दी है।

ट्रूमेड्स ने एक बयान में कहा ग्राहकों के अनुभव और पहुंच को बेहतर बनाने के लिए कंपनी की योजना अगले छह महीनों में देश भर में अपने फुलफिलमेंट सेंटर को तीन गुना करने की है।कंपनी अब हर महीने 1 लाख से ज्यादा ऑर्डर को पूरा कर रही है और तेजी से आगे बढ़ रही है।

अक्षत नैयर ने कहा हमारे पास ब्रांडेड और जेनेरिक-जेनेरिक में दवाओं का वर्गीकरण है ताकि उनके बीच अलग-अलग मूल्य स्तर तैयार किए जा सकें। भारत में बेची जाने वाली 95 प्रतिशत दवाएं पेटेंट के बिना हैं (इस प्रकार तकनीकी रूप से जेनरिक)। जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं की वैज्ञानिक संरचना में कोई अंतर नहीं है।

उन्होंने कहा कि भारतीय जेनेरिक-जेनेरिक बाजार समग्र फार्मास्युटिकल बाजार के 1.5 गुना की दर से बढ़ रहा है और अमेरिकी परिदृश्य का अनुसरण करते हुए जहां जेनेरिक प्रिसक्रीपशन की हिस्सेदारी 2005 में 40 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 85 प्रतिशत से ज्यादा हो गई थी।

वेस्टब्रिज कैपिटल के मैनेजिग डायरेक्टर ने कहा हम ट्रूमेड्स के साथ पार्टनरशिप करने के लिए उत्साहित हैं क्योंकि वे मरीजों के दरवाजे पर बेहद सस्ती कीमतों पर अच्छी क्वालिटी वाली दवाएं देकर उनकी वैल्यू को अच्छा बनाती हैं। ग्राहक दवा के बिलों पर लगभग 47 प्रतिशत की बचत पाते है और यह 70 प्रतिशत तक जा सकता है।

इंफोएज वेंचर्स के पार्टनर अमित बहल ने कहा ट्रूमेड्स दवा के बिलों की लागत को कम करने के अपने सरल प्रस्ताव के साथ भारतीय फार्मा बाजार में अपने लिए एक अच्छी जगह बना रहा है।

शायद ही कभी हम ईकॉमर्स बिजनेस मॉडल को व्यावहारिक अर्थशास्त्र के साथ काम करते हुए देखते हैं, जबकि यह तेजी से बढ़ रहा है और ग्राहकों के लिए आकर्षक बचत प्रदान करता है।

 

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